नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ की स्थापना के साथ ही राज्य के लोगों में गर्व की अनुभूति हुई कि अब अपना राज्य बन गया है। मंत्री से लेकर लिपिक और उद्योगपति से लेकर आम व्यवसायी सबका अपने राज्य से जुड़ाव बढ़ना स्वाभाविक था।
यही वजह है कि राज्य निर्माण के साथ जो सबसे पहला काम किया गया वह था-राज्य की ताकत को पहचानने का। जिनके कंधों पर राज्य को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने मध्यप्रदेश पर आश्रित रहने के बजाय अपनी ताकत के बल पर आगे बढ़ने की ठानी।
राज्य की सबसे बड़ी ताकत थी-बिजली। जितनी बिजली राज्य में उत्पादित हो रही थी, उसका ज्यादातर हिस्सा मध्यप्रदेश को जा रहा था। राज्य निर्माण के बाद तत्कालीन अजीत जोगी सरकार ने काफी विवादास्पद परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के गठन का निर्णय लिया।
हालांकि इस निर्णय को मध्यप्रदेश सहज रूप से स्वीकार नहीं कर पाया लेकिन फिर भी छत्तीसगढ़ सरकार ने कदम पीछे नहीं खींचे। यही वजह है कि राज्य अपने प्रारंभिक दिनों से ही सरप्लस बिजली वाला राज्य बना हुआ है।
बिजली ने राज्य को साहस दिया और इसी का परिणाम है कि छत्तीसगढ़ ने औद्योगिक विकास में तेजी पकड़ ली। राज्य निर्माण के समय जहां यहां पर केवल दर्जनभर स्पंज आयरन संयंत्र थे, वहीं आज 100 से अधिक संयंत्र काम कर रहे हैं।
800 करोड़ रुपए का केंद्रीय उत्पाद शुल्क बढ़कर 2400 करोड़ रुपए का हो गया है। जाहिर है बाहर के निवेशकों को राज्य में फायदा दिखा। राज्य में कोयला और लौह अयस्क के अलावा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी है।
औद्योगिक विकास के साथ ही रोजगार के अवसर सृजित हुए। 44 प्रतिशत वनों से आच्छादित राज्य की अर्थव्यवस्था में खेती महत्वपूर्ण आधार है। खेती पर ध्यान फोकस कर राज्य की तरक्की की दिशा तय की गई। परिणाम साफ दिखा-58 लाख टन की सालाना पैदावार बढ़कर 80 लाख टन तक जा पहुंची।
ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ हर मामले में मजबूत था। इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काफी कम काम हुए। अविभाजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ ने लगातार उपेक्षा के दंश झेले हैं। सड़क हो या स्कूल भवन या फिर अन्य विकास मूलक काम।
छत्तीसगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार होता रहा। इन कमियों पर स्वाभाविक रूप से ध्यान गया। सड़कों का जाल बिछाने का काम हाथ में लेने के अलावा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए योजनाएं बनाई गईं। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो समूचे छत्तीसगढ़ में मात्र 72 हजार सिंचाई पंप के कनेक्शन हुआ करते थे।
इससे अधिक तो मध्यप्रदेश के किसी भी एक जिले में पंप थे। बाद में इसके लिए विशेष अभियान चलाया गया। खासकर रमन सरकार के आने के बाद सिंचाई पंप कनेक्शन बढ़े और आज 2 लाख 30 हजार से अधिक सिंचाई पंप कनेक्शन राज्य में हैं।
सभी क्षेत्रों में किए गए कामों का ही परिणाम है कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय 11 हजार रुपए से बढ़कर 38 हजार रुपए तक जा पहुंची और राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर देश में सर्वश्रेष्ठ हो गई है।
राज्य ने गुजरात को भी पीछे छोड़ते हुए जीडीपी ग्रोथ की दर 11.49 प्रतिशत हासिल की है। यह परिणाम निश्चित तौर पर राज्य की ताकत को पहचानने से मिली। सही दिशा में कदम बढ़े और बढ़ते चले गए।
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