मराठायुगीन अधिकांश पत्रों में छत्तीसगढ़ का नाम ‘जिलह’ या प्रांत के रूप में प्रयुक्त हुआ है। प्यारेलाल गुप्त, पं. लोचन प्रसाद पांडेय. डॉ. पीएल मिश्र ने गढ़ों के आधार पर छत्तीसगढ़ नाम को सार्थक एवं तथ्ययुक्त माना है।
छत्तीसगढ़ नामकरण से पहले यह कोसल (दक्षिण) के रूप में जाना-पहचाना जाता था। प्रयागदत्त शुक्ल के अनुसार मुगल काल में दक्षिण कोसल का नाम छत्तीसगढ़ हो गया था क्योंकि उस राज्य में 36 गढ़ थे। भौगोलिक रूप से यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के नाम से संभवत: उत्तर कलचुरिकाल या मराठा युग से अभिज्ञात हुआ क्योंकि जहांगीरनामा में राजा कल्याण शाह (रतनपुर) का नामोल्लेख आता है।
रायपुर डिस्ट्रिक्ट गजेटियर में 36 गढ़ों (किलों) की स्थिति बताई गई है। उसके अनुसार 36 किलों में से 18 गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में अर्थात रतनपुर राज्यांतर्गत एवं 18 गढ़ शिवनाथ के उत्तर में अर्थात रायपुर राज्यांतर्गत आते थे।
ऐसा प्रतीत होता है कि मराठा प्रभावांर्तगत इस नामकरण का ज्यादा प्रचार हुआ होगा क्योंकि रायपुर और रतनपुर दोनों उसके नियंत्रण में थे और उन्होंने नागपुर के भोंसला साम्राज्य के अतंर्गत इसे संयुक्त कर ‘छत्तीसगढ़’ नाम स्वीकारा।
यद्यपि जीत से गढ़ों की संख्या बढ़ गई थी फिर भी छत्तीसगढ़ का नाम यथावत रहा। अंग्रेजों के शासनकाल में 1795 में मि. ब्लंट ने सरकारी तौर पर छत्तीसगढ़ के नामकरण का प्रस्ताव रखा था जिसे जेनकिंस ने ‘जमींदार्स ऑफ छत्तीसगढ़’ के रूप में प्रस्तुत किया और फिर यह नाम चल पड़ा। अंग्रेजों ने रायपुर को मुख्यालय बनाया।
उसके बाद रायपुर की महत्ता बढ़ती गई। रतनपुर की चर्चा धीरे-धीरे कम होने लगी। 14वीं शताब्दी के अंतिम दिनों में रतनपुर की कल्चुरी शाखा दो भागों में विभाजित हो घई थी। रतनपुर के अलावा रायपुर को गौण राजधानी का दर्जा मिला।
बाबू रेवाराम के अनुसार 15वीं सदी में रतनपुर के कलचुरि राजा जगन्नाथ सिंह के दो बेटे वीर सिंह देव और देव सिंह देव थे। छोटे बेटे देव सिंह देव को रायपुर राज्य दिया गया। दिल्ली में उथल-पुथल का असर छत्तीसगढ़ क्षेत्र में बहुत कम हुआ।
कुछेक प्रसंगों में इस इलाके का जिक्र मिलता है। मुगल-मराठों के पतन के बाद ब्रिटिशकाल में 1854 में जनरल लार्ड डलहौजी की नीति के अनुसार नागपुर राज्य ब्रिटिश सल्तनत में मिला लिया गया और कैप्टिन इलियट छत्तीसगढ़ के पहले अफसर मुकर्रर हुए।
तब छत्तीसगढ़ को जिले का दर्जा दिया गया था। बाद में कमिश्नरी बनाई गई जो फिर सीपी एंड बरार स्टेट का हिस्सा बना। आजादी के बाद छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश में शामिल गया। अब छत्तीसगढ़ देश का अलग राज्य है।
डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र
(पूर्व अध्यक्ष इतिहास विभाग, रविवि)
रतनपुर के 18 गढ़
1) रतनपुर, 2) मारो 3) विजयपुर 4) खरोदगढ़ 5) नवागढ़ 6) सौंठीगढ़ 7) कोटागढ़ 8) ओखरगढ़ 9) पंडरभट्ठा 10) सेमरिया 11) चांपा 12) लाफा 13) छुरी 14 ) कैंदागढ़ 15) मातीन 16) अपरोरा 17) पेंड्रा 18 ) करकट्टी
रायपुर के 18 गढ़
1) रायपुर 2) पाटन, 3) सिमगा 4) सिंगारपुर 5) लवण 6) ओमेरा 7) दुर्ग 8) सरधा 9) सिरसा 10) मोहदी 11) खल्लारी 12) सिरपुर 13) फिंगेश्वर 14) राजिम 15) सिंघनगढ़ 16) सुवरमार 17) टेंगनागढ़ 18) अकलतरा