Thursday, February 3, 2011

छत्तीसगढ़ में भी है खजुराहो ?



यूँ तो छत्तीसगढ़ सारी दुनिया में धान के कटोरे के नाम से जाना जाता है ,लेकिन पर्यटन की द्रष्टि से छत्तीसगढ़ देश और दुनिया में अपनी पहचान बनाये हुए है ,छत्तीसगढ़ की एतिहासिक ,प्राकृतिक सम्पदा दुनिया भर के लोगों को अपनी और आकर्षिक करती है | इन्ही एतिहासिक स्थानों में नाम आता है विश्व प्रसिद्द भोरमदेव मंदिर का |

छत्तीसगढ़ का भोरमदेव का मंदिर छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों में विशेष स्थान रखता है | यह कवर्धा जिले से 18 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में राजनंदगांव जिले में स्थित है |

क्यों है भोरमदेव छत्तीसगढ़ का खजुराहो

भोरमदेव मंदिर सूर्य मंदिर कोणार्क और मध्यप्रदेश स्थित खजुराहो से बहुत समानता रखता है यही कारण है की भोरमदेव को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है |

क्या है विशेषता

भोरमदेव मंदिर की अद्वितीय वास्तुकला भगवान शिव को समर्पित है |यह मंदिर 11 वीं शताब्दी में चंदेला शैली में बनवाया गया था | यह मंदिर नागा जाति के राजा रामचंद्र द्वारा बनवाया गया था और भगवान शिव को समर्पित किया गया था |

कैसे पहुचे भोरमदेव

कवर्धा बस स्टेंड और रायपुर एरपोर्ट से भोरमदेव तक आसानी से पहुंचा जा सकता है|

प्रस्तुति : गगन गुर्जर

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