Friday, February 11, 2011

जाने छत्तीसगढ़ को : दुर्ग का असली नाम है शिव दुर्ग



 (प्रस्तुति - गगन गुर्जर 'सारंग' - 9981350952 )
26 वे राज्य के रूप में अस्तित्व में आया छत्तीसगढ़ अपने आपमें कई विशेषताएं लिए हुए है | छत्तीसगढ़ के बारे में कई ऐसी जानकारियां हैं जो शायद बहुत से लोग नहीं जानते होंगे उन्ही खास जानकारियों से अवगत कराने का हमारा यह एक छोटा सा प्रयास है | यहाँ के हर शहर के साथ कोई न कोई विशेषता ज़रूर जुडी हुई है |

जहाँ रायगढ़ अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है तो वहीँ जगदलपुर मंदिरों ,वाटरफाल्स और म्यूजियम के लिए मशहूर है | बस्तर आदिवासियों के लिए जाना जाता है तो अचानकमार जंगलों और पहाड़ियों के लिए जाना जाता है| इस प्रकार यहाँ के हर शहर की अपनी कोई न कोई खासियत ज़रूर है | आइये जानते हैं कि क्या - क्या खासियत है यहाँ के प्रमुख शहरों की :-

जगदलपुर :

छत्तीसगढ़ का यह शहर खासतौर से यहाँ के एतिहासिक मंदिरों के लिए प्रसिद्द है ,केवल इतना ही नहीं प्राकृतिक विरासत के लिहाज से यहाँ के ऊँचे ऊँचे पहाड़ों से गिरता पानी मन को मोहित कर लेता है इसके अलावा यहाँ विभिन्न विरासतों को संभाले हुए संग्रहालय भी देखने लायक हैं|

दुर्ग :

दुर्ग शहर का असली नाम शिव दुर्ग है ,यह राजधानी रायपुर से 35 किमी दूर है यह क्षेत्र खासतौर से खनिज संसाधनों और जंगलों के लिए  जाना जाता है  |

बिलासपुर :

बिलासपुर छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है यह राजधानी रायपुर से 111 किमी दूर है राज्य का हाईकोर्ट  इसी शहर में है ,बिलासपुर अरपा नदी के किनारे पर स्थित है जो कि मध्य भारत कि सबसे माइकल रेंज की पहाड़ियों से निकलती है| यह क्षेत्र कोयला खानों तथा हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है |



निरंतर..............

Thursday, February 3, 2011

छत्तीसगढ़ में भी है खजुराहो ?



यूँ तो छत्तीसगढ़ सारी दुनिया में धान के कटोरे के नाम से जाना जाता है ,लेकिन पर्यटन की द्रष्टि से छत्तीसगढ़ देश और दुनिया में अपनी पहचान बनाये हुए है ,छत्तीसगढ़ की एतिहासिक ,प्राकृतिक सम्पदा दुनिया भर के लोगों को अपनी और आकर्षिक करती है | इन्ही एतिहासिक स्थानों में नाम आता है विश्व प्रसिद्द भोरमदेव मंदिर का |

छत्तीसगढ़ का भोरमदेव का मंदिर छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों में विशेष स्थान रखता है | यह कवर्धा जिले से 18 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में राजनंदगांव जिले में स्थित है |

क्यों है भोरमदेव छत्तीसगढ़ का खजुराहो

भोरमदेव मंदिर सूर्य मंदिर कोणार्क और मध्यप्रदेश स्थित खजुराहो से बहुत समानता रखता है यही कारण है की भोरमदेव को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है |

क्या है विशेषता

भोरमदेव मंदिर की अद्वितीय वास्तुकला भगवान शिव को समर्पित है |यह मंदिर 11 वीं शताब्दी में चंदेला शैली में बनवाया गया था | यह मंदिर नागा जाति के राजा रामचंद्र द्वारा बनवाया गया था और भगवान शिव को समर्पित किया गया था |

कैसे पहुचे भोरमदेव

कवर्धा बस स्टेंड और रायपुर एरपोर्ट से भोरमदेव तक आसानी से पहुंचा जा सकता है|

प्रस्तुति : गगन गुर्जर