दोस्तों मैंने अपने इस ब्लॉग में देश दुनिया से जुड़े कुछ रोचक तथ्य डालने का प्रयास किया है ,मेरे इस ब्लॉग में कुछ बातें मेरे स्वयं के प्रयासों पर आधारित हैं तो कुछ तथ्य देश दुनिया के विद्वानों ,समाचार पत्रों ,इन्टरनेट आदि से प्रेरित हैं| धन्यवाद !
Saturday, March 5, 2011
गुर्जर की डायरी: बस्तर : एक संक्षिप्त परिचय
गुर्जर की डायरी: बस्तर : एक संक्षिप्त परिचय: "एक समय बस्तर एक इतना बड़ा जिला हुआ करता था जितना कि केरल राज्य , इस्रायल और बेल्जियम देश बस्तर का निर्माण 11वी शताब्दी में नागवंशी राजाओं..."
बस्तर : एक संक्षिप्त परिचय
बस्तर का नाम बस्तर कैसे पड़ा इस बारे में बहुत कुछ कहा जाता है कुछ लोग कहते हैं कि बस्तर का नाम संस्कृत के 'विस्तृत' शब्द से बना है जो कि काफी तर्क सांगत भी लगता है ,लोगों का कहना है कि इसका नाम बस्त-कर्म पेड़ों के कारण पड़ा है जिनसे कि सम्पूर्ण बस्तर भरा पड़ा है |
कुछ लोगों का अनुमान है कि इसका नाम बस्तः नामक बकरी के चारागाह होने के कारण पड़ा है ,यहाँ तक कि आज भी उत्तर भारत के चरवाहे यहाँ आते रहते हैं |यह भी कहा जाता है कि यहाँ बस्ते या बैगों का निर्माण काफी मात्रा में आता है इस कारण इसका नाम बस्तर पड़ा है |
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इस क्षेत्र में बस्त्कम नमक का आयात बाहर से अधिक मात्रा में होता रहा है इस कारण इसका नाम बस्तर पड़ा है |
एतिहासिक रूप से बस्तर दक्षिण भारत में डेक्कन और मध्य भारत में राजपूत राजाओं के टूटे फूटे राज्यों के बीच बफर जोन बनाता है |यह क्षेत्र बाहरी प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ है , और इसका विकास सरकार के प्रयासों से हुआ है | बहुत सी जनजातियाँ यहाँ आर्यों के आने से पहले(10 ,000 वर्ष पहले) आ चुकी थी और अपनी जनजातीय शैली के साथ यहीं बस गई |
इन्द्रावती नदी बस्तर की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण नदी है , परमार और चिंता इसकी उपनदियाँ हैं | बस्तर का अधिकांश भाग जंगलों से भरा हुआ है और इस घने जंगल में अधिकतर बांस ,साल ,सागौन ,शीशम और बीजा के पेड़ पाए जाते हैं |
ऊँचे ऊँचे पहाड़ ,नदियाँ ,झरने ,प्राकृतिक गुफाएं ,और प्राकृतिक पार्क यहाँ के मुख्य दर्शनीय स्थल हैं | पर्यटन की द्रष्टि से यहाँ कम से कम तीन दिन आसानी से बिताये जा सकते हैं |
प्रस्तुति :- गगन गुर्जर
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